पंचायती राज व्यवस्था

पंचायती राज व्यवस्था

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Author / Editor:- डॉ. विवेकानन्द , डॉ. गोपाल प्रसाद

About the book:-

यह पुस्तक ग्रामीण समाज के राजनीतिक विकास में नवीन पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका को परखने का एक लघु प्रयास है, जो गोरखपुर जनपद के पंचायत चरगावां को आधार बनाकर विश्लेषित किया गया है। परिवर्तन सृष्टि शाश्वत नियम है किन्तु सभ्यताएं एवं संस्कृतियां अचनाक आमूल रूप से परिवर्तित नहीं हो पाती हैं। मानव विकास की सहस्रों वर्ष पुरानी यह यात्रा नाना प्रकार के अनुभवों की साक्षी रही है। संविधान के 73वें संशोधन द्वारा पंचायती राज की नई व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त किया गया है,
पुस्तक में ग्रामीण समाज की उत्पत्ति एवं विकास, ग्रामीण समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, वर्तमान समय में ग्रामीण समाज की स्थिति आदि का वर्णन है।
पंचायत के राजनीतिक विकास का अर्थ एवं राजनीतिक विकास के आयाम से सम्बन्धित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया है।
यह जानने का प्रयास किया गया है कि, पंचायती राजव्यवस्था के माध्यम से ग्रामीण समाज के राजनीतिक विकास के लिए क्या किया गया है।
ग्रामीण समाज के विकास से सम्बन्धित विभिन्न दृष्टिकोणों जैसे पुरुष-महिला, शिक्षित-अशिक्षित, सामान्य जाति- अनुसूचित जाति इत्यादि अवयवों के आधार पर विश्लेषित किया गया है। इसमें विभिन्न स्थिति के आधार पर तुलनात्मक विश्लेषण भी किया गया है।

First Edition:- 2014

ISBN:- 978-93-80820-25-5

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