Description
निर्बन्ध कलम (पद पराग) कलम को बन्धन-मुक्त करने का उद्देश्य रखता है। और भला क्यों न कलम बन्धन-मुक्त हो? अभिव्यक्ति की प्रकृति व अधिकार काल और स्थान से परे है। विचार, विधा, विषय, षिल्प और षैलीके बन्धन से भी मुक्त होता है लेखनी का पथ। जब साम्प्रतिक कवि और कलाकार विचारधाराओं के कुण्ठित विकार से ग्रसित हो कुछ लिखता-पढ़ता है तो, साहित्य और कला का सत्यानाश तो होता ही है, वह अपनी इस हरकत से समाज और संस्कृति में भी विष-वमन करता है। जाहिर है, ग़ुलामी की कलम से आदर्श की अभिव्यक्ति और स्थापना नहीं हो सकती। इन्ही विचारों से उत्प्रेरित होकर की निर्बन्ध कलम (पद पराग) रचना की गयी है।
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